Uttar Pradesh: Police demand hard justice for rape, firstly rape with innocent, then kidnapping
मल्हीपुर पुलिस की कार्यशैली से असंतुष्ट पीड़ित परिवार ने न्यायालय की ली शरण
(स्पैशल- रिपोर्ट -वरिष्ठ पत्रकार अशफाक़ खाँ )
श्रावस्ती ----- किसी बेटी का बाप होना वाक़ई एक सुखद अनुभूति होती है । बच्ची की किलकारियों से बाप को मिलने वाली दिली सुकून को शब्दों में कहना मुश्किल होता है । जैसे - जैसे बेटी की आयु बढ़ती है पिता का यही सुकून उसकी परवरिश , पढ़ाई , शादी और सुरक्षा जैसी चिंताओं से घिर जाते हैं । युवा अवस्था तक आते - आते कुछ अभागे पिताओं को बेटी की सुरक्षा की चिंताएं गहरे अवसाद में धकेल देतीं हैं । फिर अवसादग्रस्त बाप का सिस्टम और समाज दोनों से ही विश्वास उठ जाता है । सिस्टम से हारा हुआ बाप उस दिन को रह - रह कर कोसता रहता है जब बेटी की पहली किलकारी उसे दुनिया का सबसे प्रसन्न इंसान होने का अहसास दिलाता था । जिन कानों को बिटिया की किलकारी सुनने की आदत हो वही कान उसकी ख़ामोश चीख़ को कैसे सुन सकता है । हम आपको एक ऐसे ही अभागे बाप का दर्द बताते हैं जिसे पुलिसिया सिस्टम ने आँखों से ओझल कर दिया । मामला श्रावस्ती जिले के मल्हीपुर थाना क्षेत्र के चौरीकोटिया गाँव का है । यहाँ के रहने वाले कमल ( बदला हुआ नाम ) की पन्द्रह साल की बेटी को घर में अकेली पा कर गाँव के ही एक व्यक्ति ने 6 जून 2018 को कथित तौर पर चाकू की नोक पर अपनी हवस का शिकार बना डाला । घटना के वक्त बच्ची के माता पिता खेत में थे । पड़ोस की कुछ महिलाओं ने आरोपी युवक को अस्त व्यस्त हालत में घर से निकलते देखा तो माँ बाप को खेत से बुलाकर बच्ची से पूछताछ करने पर पता चला कि आरोपी ने जबरन घर में घुस कर चाकू की नोक पर बच्ची के साथ बलात्कार किया । पीड़ित परिवार दो दिनों तक इस कशमकश में उलझा रहा कि पुलिस कार्यवाही से परिवार की बदनामी के साथ ही 15 साल की अबोध बच्ची का भविष्य ख़राब हो जाएगा। परिजन इसी सोंच में थे कि इसी बीच आरोपी उस्मान ने पीड़िता के पिता को मोबाईल पर कथित तौर पर धमकी देने लगा कि यदि मामले को पुलिस के पास ले गए तो बेटी को अगवा कर कोठे पर बेंच दूंगा । इस धमकी से आक्रोशित लड़की के पिता ने पुलिस के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इंसाफ की गुहार लगाई । साथ ही थाना मल्हीपुर जा कर थाना प्रभारी वकील पांडेय से आरोपी की विरुद्ध कार्यवाही की माँग की । पीड़ित पिता का आरोप है कि मल्हीपुर पुलिस ने उनकी वास्तविक तहरीर को झुठलाते हुए सादे कागज पर जबरन अँगूठा लगवाकर बलात्कार की घटना को मारपीट की घटना के रूप में मुकदमा दर्ज करने का आश्वासन दिया । मल्हीपुर पुलिस की कार्यशैली से असंतुष्ट पीड़ित परिवार ने न्यायालय की शरण ली । अब इसे इत्तेफाक कहें या फिर पुलिस व आरोपी की संयुक्त साजिश कि 29 जून2018 को माननीय न्यायालय के समक्ष दुष्कर्म की पीड़िता को पेश होना था मगर ठीक इसी रात को पीड़ित बच्ची संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई । मामले में एस0पी0 श्रावस्ती अशोक कुमार के हस्तक्षेप के बाद मुकद्दमा दर्ज कर लिया गया है मगर आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है । पीड़िता के पिता का कहना है कि " पुलिस से बेटी के लिए इंसाफ माँगना बहुत महंगा पड़ गया , काश बलात्कारी की धमकी को मान लेते तो आज बेटी उसके पास होती " ।
मल्हीपुर पुलिस ने धूमिल की एस0पी0अशोक कुमार की छवि
एस0पी0 श्रावस्ती अशोक कुमार की छवि आमतौर पर एक न्याय प्रिय ,निडर व मृदुल स्वभाव के पुलिस अधीक्षक के तौर पर कायम है । बीते महीने बलात्कार पीड़िता का ढोंग कर लोगों से पैसे ऐठने वाली एक महिला जालसाज को महिला कानून का दुरुपयोग करने के आरोप में सलाखों के पीछे भेज दिया । इससे आम जनमानस में यह साफ संदेश गया कि लिंग व वर्गों के आधार पर किसी को भी कानून से खिलवाड़ करने का मौका नहीं दिया जाएगा । एस0पी0 अशोक कुमार से इतर अब जरा मल्हीपुर पुलिस का भी चाल व चरित्र पर एक नजर डाल लें ।
बलात्कार पीड़िता के परिजनों के अनुसार पुलिस ने थाने पर ही 15 साल की बच्ची को चरित्र हीन साबित करने के लिए खूब तर्क दिए । किसी मासूम बच्ची को बिना जाँच पड़ताल के बदचलन साबित करना ऐसे दुर्लभ काम मल्हीपुर पुलिस से बेहतर शायद को और कर भी नहीं सकता । बलात्कार का मामला प्रकाश में आने से लेकर बच्ची के अप्रहत होने तक लगभग 22 दिनों में पुलिस ने एक बार भी आरोपियों के घर पर न तो दबिश दी और न ही उन्हें उन्हें थाने बुलाकर कोई कार्यवाही की । कुछ ग्रामीण तो यहाँ तक आरोप लगाते हैं कि बलात्कार का आरोपी न केवल खुलेआम घूमता था बल्कि पीड़ित को फ़ोन पर धमकाते हुए अट्टहास करता था । यह मामला शायद जिले का पहली घटना होगी जिसमें बलात्कार पीड़िता के बजाए पड़ोस की दर्जनों महिलाओं के बयान पुलिस ने लिए। गनीमत रही कि महिलाओं ने बिना डरे पीड़िता के पक्ष में बयान दिए। कुछ लोगों को यह भी आशंका थी इसी बयान के आधार पर पुलिस पीड़ित परिवार पर सुलह का दबाव बना सकती थी । कुल मिलाकर मल्हीपुर पुलिस के ऐसे दर्जनों संवेदनहीन कारनामे हैं जिसे स्थानीय लोग रह रह कर बताते हैं । बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में भी जिस अमानवीय शैली से मल्हीपुर पुलिस ने कार्य किया है उसे वर्षो तक चौरीकोटिया के ग्रामीण नहीं भूल पाएंगे ।लब्बोलुआब यह कि मल्हीपुर पुलिस के ऐसे कृत्य को श्रावस्ती मॉडल की पुलिसिंग कैसे मान लें ,वो भी तब जब अशोक कुमार जैसे सुलझे व्यक्तित्व के पास जिले की बागडोर हो ।