इंडिया न्यूज सेंटर,रोहतकः किसी शायर ने सही कहा है कि "ए मुकदस्त यह बता मेरे मुकद्दर में क्या लिखा है" सच्चा सौदा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को क्या मालूम था कि जो तु बो-रहा है वह तुझे ही काटना है। गुरमीत राम रहीम का दिमाग इतना खराब हो चुका था कि वह लडकियों की अस्मत लूटता रहा जिसने भी उसके खिलाप आवाज उठाई उसको मिटाता चला गया। लेकिन पाप का घड़ा एक दिन भरना था एक पत्रकार ने निड़रता से उसके खिलाप लिखा लेकिन इसने उसको भी मरवा डाला। गुरमीत राम रहीम का दिमाग खराब होना वाजिब भी था सरकार के नेता उसके सामने एक पैर पर खड़े होकर उसकी हजूरी बजाते थे। जिसके कारण उसके किए गए पापों की आवाज के खिलाप सत्ता के दबाव में दबकर रह जाती थी। लेकिन हमारे देश में ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों की कमी नही है। सीबीआई अधिकारियों ने गुरमीत राम रहीम के खिलाप सबूत जुटाने शुरु किए इस काम में 15 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और 25 अगस्त को सीबीआई कोर्ट के जज जगजीत सिंह ने साध्वी रेप केस में गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दे दिया। सोमवार को साध्वियों से रेप के मामले में रोहतक की जिला जेल में बाबा राम रहीम के खिलाफ सजा के फैसले के दौरान कुछ अलग ही नजारा था। एक कुर्सी पर जज थे तो उनके सामने कटघरे में खड़ा था वो व्यक्ति जिसके सामने कभी देश की तमाम हस्तियां एक पैर पर खड़ी रहा करती थीं।आज उस सख्स की हस्ती मिटती नजर आ रही थी। रेपिस्ट बाबा के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं, दहशत में मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे। जुबान बार बार लड़खड़ा रही थी। मीडिया की खबरों के अनुसार जब कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई तो सबसे पहले सीबीआई के वकीलों ने एक एक कर गुरमीत राम रहीम के गुनाहों को सामने लाना शुरू किया। जज ने दोनों पक्षों को दस-दस मिनट का समय अपनी-अपनी दलील के लिए दिया। इस वक्त में सीबीआई के वकीलों ने बाबा राम रहीम के लिए सख्त से सख्त सजा की मांग की। यह सुनते ही राम रहीम के चेहरे पर हवाइयां उड़नी शुरु हो गई थी।हाथ जोड़कर उन्होंने दलील दी कि वह तमाम उम्र लोगों की मदद करते रहे, समाज की सेवा के लिए कई काम किए। डेरा प्रमुख के वकीलों ने भी दलील दी कि बाबा ने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया है।
फैसला सुनते ही कुर्सी पकड़कर बैठ गए राम रहीम
दस मिनट तक गुरमीत राम रहीम और उनके वकील जज के सामने डेरे और डेरा प्रमुख के तमाम परोपकारी कामों को गिनवाते रहे, लेकिन सामने बैठे जज पर इन दलीलों का कोई असर होता नहीं दिखा। इसका आभास सामने खड़े डेरा प्रमुख को भी हो गया था।उन्होंने जज के सामने हाथ जोड़कर खुद को सजा में रियायत की मांग की। लेकिन इन सबसे बेअसर जज ने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया। जैसे जैसे जज फैसला पढ़ते रहे सामने खड़े गुरमीत राम रहीम के चेहरे का रंग उड़ता चला गया। जैसे ही जज ने डेरा प्रमुख को दस साल की सजा का ऐलान किया, उनके चेहरे की हवाइयां उड़ गई। फैसला सुनते ही वह कुर्सी पकड़ कर नीचे बैठ गए। कुछ देर बाद ही वह जोर जोर से जज के सामने रोने लगा। उसे ले जाने के लिए जेल के कर्मचारियों ने उठाया तो वह फर्श पर ही बैठ गया। कर्मचारियों ने सख्ती की तो गिड़गिड़ाने लगा और कहीं जाने से इंकार कर दिया। इसके बाद कर्मचारी लगभग उन्हें हाथ पकड़कर खींचते हुए बाहर ले गए। यह नजारा शायद एक सल्तनत के ढहने का था और एक हस्ती के मिट जाने का था।