इंडिया न्यूज सेंटर,नोएडाः ग्रेटर नोएडा पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर ट्रेनों में लूटपाट करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। सीसीटीवी से मिले चौंकाने वाले फुटेज के बाद इन दोनों की गिरफ्तारी को अंजाम दिया गया है। बताते है कि यह गिरोह पटरी के बीच में दो रुपये का सिक्का डालकर ग्रीन सिग्नल को रेड करता था। ट्रेन रुकने पर बदमाश बोगियों में चढ़कर यात्रियों से लूटपाट कर फरार हो जाते थे। पुलिस ने लूट की चार वारदात का खुलासा किया है। बदमाशों के पास से सिक्का और तमंचा बरामद किया है। पुलिस की गिरफ्त में आये आरोपी राजन व दिनेश एक ऐसे गिरोह के सदस्य हैं जो रेल की पटरियों के ज्वाइंट पर सिक्के फंसा देता। इससे सिग्नल रेड हो जाता था और ट्रेन रुक जाती थी। इसके बाद गिरोह के सदस्य रेल यात्रियों के साथ लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देते थे। बदमाश लगातार दिल्ली-हावड़ा रूट व मुरादाबाद रूट पर ट्रेनों में घुसकर लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। दादरी-अलीगढ़ रूट बदमाशों का सॉफ्ट टारगेट बना हुआ था। बार-बार मिल रही शिकायत के आधार पर पुलिस ने इन रूट पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किये। फुटेज की मदद से एक बदमाश की पहचान हो गई। सोमवार रात भी बदमाश तिलपता कंटेनर डिपो के समीप एकत्र हुए थे और दादरी-अलीगढ़ रूट पर ट्रेन में यात्रियों से लूट की साजिश रच रहे थे। लोकेशन के आधार पर तिलपता के समीप से दो बदमाशों राजन व दिनेश को गिरफ्तार किया गया, जबकि गिरोह के दो बदमाश सुमित और रॉबिन फरार होने में कामयाब रहे। बदमाशों के पास से तमंचा, दो रुपये का सिक्का भी बरामद किया गया है। ग्रेटर नोएडा के सीओ 1 अमित किशोर श्रीवास्तव ने बताया कि जब कोई ट्रेन पटरी से गुजरती है तो पटरी के बीच में दो रुपये का सिक्का डाल देते थे। सिक्का डालने पर दोनों पटरियों को करंट का अर्थ नहीं मिलता है और अर्थ न मिलने की वजह से सिग्नल ग्रीन के बजाय लाल हो जाता था। सिग्नल लाल होते ही ट्रेन चालक को लगता था कि आगे खतरा है और चालक ट्रेन को रोक देते थे। जैसे ही ट्रेन रुकती थी, हथियारों से लैस बदमाश स्लीपर व एसी डिब्बे में सवार हो जाते थे और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देते थे। अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने दादरी व बोड़ाकी के बीच चार लूट की वारदात को अंजाम दिया था। गिरोह के तीन बदमाश लोकेश, मोनू और राजू पहले से ही जेल में हैं। मोनू दिनेश का साला है। मोनू ही पूरे गिरोह का सरगना था। उसने ही दो रुपये के सिक्के का इस्तेमाल करना बताया।