Rafale deal cheaper than before: Controller and Auditor Reports
इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः रफाल सौदे को लेकर विपक्ष भले ही लगातार आरोप लगाता रहा हो लेकिन एक बार फिर सौदे पर सरकार के रुख की पुष्टि हो गयी है । सुप्रीम कोर्ट के बाद भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के दावों पर मुहर लगा दी है । बुधवार को संसद के दोनों सदनों में पेश की गयी रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि 36 लड़ाकू रफाल विमानों की खरीद के लिए एनडीए सरकार ने जो सौदा किया वह इन विमानों की खरीद के लिए 2007 में की गई तत्कालीन यूपीए सरकार के सौदे की तुलना में 2.86 फीसदी सस्ता है। रिपोर्ट की अहम बातों पर गौर करें तो -एनडीए सरकार के कार्यकाल का सौदा यूपीए के मुकाबले 2.86 फीसदी सस्ता है । रिपोर्ट में राफाल विमान की कीमत के बारे में कोई खुलासा नही किया गया है । रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि भारत के लिहाज से किए गए बदलावों के नजरिये से यह सौदा 17.08 फीसदी सस्ता है।एनडीए की खरीद में विमान की डिलीवरी पुराने सौदे के मुकाबले जल्दी करने का प्रावधान है। रफाल पर कैग रिपोर्ट सामने आने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है और 'महाझूठबंधन का झूठ बेनकाब हो गया है । अरुण जेटली ने कहा कि 2016 बनाम 2007... कम कीमत, त्वरित आपूर्ति, बेहतर रखरखाव, महंगाई के आधार पर कम वृद्धि । उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से एनडीए के रुख की पुष्टि हुई है और कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश हो गया है। कांग्रेस की ओर से रिपोर्ट में सौदे के केवल 2.86 फीसदी सस्ता होने के मसले पर सवाल उठाने पर अरुण जेटली ने तर्कों के जरिए बताया कि क्यों रिपोर्ट में एनडीए के सौदे को केवल 2.86 फीसदी ही सस्ता बताया गया है । जेटली ने 1989 के बोफोर्स सौदे का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार साफ छवि की है और उसे बदनाम करने के लिए संकट बनाया जा रहा है ।
गौरतलब है कि सौदे पर सवाल उठाते हुए कुछ दल और संगठन सुप्रीम कोर्ट भी गए थे लेकिन देश की सबसे बडी अदालत ने भी सौदे को क्लीन चिट देते हुए साफ कर दिया कि इसमें पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया । और अब कैग ने भी सौदे पर मुहर लगा दी है लेकिन विपक्ष है कि मानने को तैयार नहीं है ।