Supreme court will decide tomorrow's future of Navjot Singh Sidhu
30 साल पुराने रोड रेज मामले में कल होगा फैसला
नेशनल न्यूज डेस्कः 30 साल पुराने रोड रेज मामले पूर्व क्रिकेटर व विधायक केबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बहाल रहेगी या नहीं, सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुनाने जा रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के आदेश को सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश सिद्धू का राजनीतिक कैरयर तय करेगा। गत 18 अप्रैल को न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने 1998 के रोड रेज के इस मामले में सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सिद्धू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने पीठ के समक्ष कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश मेडिकल साक्ष्यों पर नहीं बल्कि अनुमान पर आधारित था और इस तरह का अनुमान का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा था कि गुरनाम सिंह ही मौत का सही कारण को लेकर अस्पष्टता थी। ट्रायल कोर्ट के समक्ष अभियोजन पक्ष के तीन गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए चीमा ने कहा था कि तीनों ने अलग-अलग बात कही थी। छह सदस्यीय चिकित्सा विशेषों को मौत के सही कारणों पर अपनी राय देने के लिए कहा गया था कि लेकिन इनमें से कुछ से बतौर गवाह पूछताछ नहीं की गई। मेडिकल साक्ष्यों में कमी थी और अभियोजन पक्ष के गवाहों ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अलग बयान दिए थे। वहीं, पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि 30 वर्ष पुराने रोड रेज मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराए जाने का फैसला सही है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को दोष सिद्ध कर और तीन साल की सजा पर मुहर लगा देते है तो एेसे में सिद्धू को तत्काल अयोग्य कर दिया जाएगा और वह सजा खत्म होने के बाद छह वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
गौरतलब है कि सिद्धू पर आरोप था कि 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में सड़क पर 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से बहस हो गई। जिसके बाद सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का जड़ दिया। अस्पताल में ब्रेन हैंम्रेज से गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। निचली अदालत ने सिद्धू को आरोपमुक्त कर दिया था लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को दरकिनार करते हुए सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। सिद्धू ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सिद्धू की सजा पर रोक लगा रखी है।