` पुष्पा की जिद ने दी दिव्यांग्ता को मात
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पुष्पा की जिद ने दी दिव्यांग्ता को मात

Pushpa's give defeat to Divyangata share via Whatsapp

Pushpa's give defeat to Divyangata


आशा के प्रयास से आई माँ के चेहरे पर मुस्कान

............और इस तरह विकलांग होने से बच गया नवजात

अशफांक खा,बहराइचः 
शायरा के बच्चे का जन्म मटेरा स्वास्थ्य केंद्र पर हुआ । जन्म से ही नवजात के दोनों पैर अंदर की ओर मुड़े हुये थे । प्रसव कक्ष मे मौजूद स्टाफ नर्स सहित आशा पुष्पा ने भी परिवार वालों को समझाया कि इसे इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाये जहां नवजात के पैर का इलाज हो सकता है । पर घर वाले राजी नहीं हुये । उनका मानना था कि जब अल्ला ताला ने जन्म से ही ऐसा बनाया है तो अब ये ठीक नहीं होगा । ब्लॉक शिवपुर के बघौली गाँव की शायरा के पति इरफान ने उम्मीद छोड़ दी थी | इरफान ने बताया कि जब मेरे बच्चे का पैर जन्म से ही मुड़ा है तो अब सही नहीं होगा । लेकिन आशा पुष्पा देवी ने हार नहीं मानी और परिवार वालों को समझाया कि बच्चा छोटा है अभी इसके पैर का इलाज हो सकता है, एक बार डॉक्टर को दिखाने मे कोई मुश्किल नहीं है और आपका पैसा भी नहीं लगेगा । पुष्पा देवी के कई बार प्रयास करने के बाद नवजात को जिला अस्पताल बहराइच लाया गया, जहां प्रशिक्षित डॉक्टर की देख रेख मे प्लास्टर बांधकर इलाज शुरू कर दिया गया । नवजात के पिता इरफान ने बताया कि आशा दीदी की मदद से मेरा बेटा ठीक हो रहा है, दो बार प्लास्टर बंध चुका है तीन बार और प्लास्टर लगाने के बाद यह सामान्य बच्चों कि तरह हो जाएगा । आशा दीदी को लाख लाख दुआएं । सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुर के बीसीपीएम सुशील बाजपेयी ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम आंगनवाड़ी केंद्र और स्कूलो का भ्रमण कर जन्म जात दोष से पीड़ित बच्चों की पहचान कर उन्हे उपचार के लिए रेफेर करती है । आशाएँ भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान ऐसे शिशुओं को चिन्हित कर जानकारी उपलब्ध कराती हैं । परिणाम स्वरूप इस वित्तीय वर्ष मे 9 बच्चे क्लबफुट के और 8 बच्चे जिन्हे जन्म से ही होंठ कटे होने की समस्या थी, जिनका इलाज करवाया जा चुका है ।  डॉ सुरेश सिंह मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि नवजात को क्लब फूट की बीमारी थी जिसका इलाज सरकारी अस्पतालों मे निःशुल्क किया जाता है । यदि सही समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो क्लबफुट स्थायी विकलांगता का रूप ले लेता है | उन्होने बताया कि इसकी पहचान जन्म के समय कर ली जाय तो क्लबफुट जैसी कई अन्य जन्मजात बीमारियों का न सिर्फ इलाज संभव है बल्कि इससे शिशु मृत्यु दर और विकलांगता मे कमी लायी जा सकती है ।

 कैसे पहचाने क्लब फूट –


    बच्चे द्वारा पैर का बाहरी किनारे पर टिकाना
    अंगुलियों का नीचे इशारा करते हुये पैर
    असामान्य आकार और पैर का अंदर की ओर मुड़ा होना
    पैरों मे गाँठे पड़ जाना

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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