` सर्वोच्य न्यायालय ने नवजोत सिंह सिद्धू को मारपीट का दोषी करार दिया, लेकिन गैर इरादतन हत्‍या के आरोप से बरी कर दिया

सर्वोच्य न्यायालय ने नवजोत सिंह सिद्धू को मारपीट का दोषी करार दिया, लेकिन गैर इरादतन हत्‍या के आरोप से बरी कर दिया

The Supreme Court convicted Navjot Singh Sidhu share via Whatsapp

The Supreme Court convicted Navjot Singh Sidhu

1000 रुपये जुर्माना लगाकर किया बरी

नेशनल न्यूज डेस्कः
पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने इस मामले में पूरी राहत न देते हुए कोर्ट ने महज एक हजार जुर्माना लगाकर बरी कर दिया है। कोर्ट ने सिद्धू को मारपीट का दोषी तो करार दिया, लेकिन गैर इरादतन हत्‍या के आरोप से बरी कर दिया है।  जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने मंगलवार को इस मामले में फैसला सुनाया। पीठ ने 18 अप्रैल को सुनवाई के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।  सिद्धू ने दावा किया था कि गुरनाम सिंह की मौत का कारण विरोधाभासी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी गुरनाम सिंह की मौत कारण स्पष्ट नहीं कर पाई है। सिद्धू इस समय पंजाब सरकार में पर्यटन मंत्री हैं। मामले में दोषी ठहराए गए सिद्धू के साथी रुपिंदर सिंह संधू ने भी अपील की थी। संधू को भी हाई कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी। सिद्धू पर आए फैसले ने पंजाब की राजनीति में फिर पलटी मार दी है। इससे विपक्ष की बोलती कुछ हद तक बंद हो जाएगी। अगर सिद्धू को सजा हो जाती तो विपक्ष को सरकार पर भड़ास निकालने का मौका मिल जाता। इतना ही नहीं सजा के बाद सिद्धू का मंत्री पद तो जाना ही था साथ ही वे 6 साल के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते थे। बहराल कुछ भी हो सिद्धू पर आया फैसला उन्हें फिर से जमकर काम करने की ताकत देगा। इस तरह सिद्धू को अपनी राजनीतिक पारी में बड़ा जीवनदान मिला है। अब वह अपनी सियासी पारी में  नए सिरे से आगाज कर सकेंगे। कोर्ट के इस फैसले का पंजाब की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। पंजाब में सिद्धू के समर्थकों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुशी की लहर दौड़ गई है।
 

यह है पूरा मामला

1988 में सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजर्ग व्‍यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्‍त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्‍या का मामला दर्ज किया। बाद में ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया। इसके बाद मामला पंजाब एवं हाईकोर्ट में पहुंचा। 2006 में हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर सिंह को दोषी करार दिया और तीन साल कैद की सजा सुनाई। उस समय सिद्धू अमृतसर से भाजपा के सांसद थे और उनको लोकसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा देना पड़ा था। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में सिद्धू ए‍क बार फिर अमृतसर से सांसद चुने गए।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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